प्लेन जो उड़ान भरने के बाद दुनिया से गायब हुआ



     8 मार्च 2014 को मलेशियन एयरलाइन का एक जहाज क्वालालंपूर से टेक ऑफ तो हुआ लेकिन अपनी मंजिल बेजिंग तक नहीं पोहचा. किसीको भी मालूम नहीं पड़ा कि ये जहाज गया तो गया कहा . लेकिन पुरे 9 सालो बाद एक उम्मीद मिली है की ये जहाज इस वक्त कहा मौजूद है .

     ये बात है 8 मार्च 2014 की यानि के करीब 9 साल पहले की जभी मलेशियन एयरलाइन के फ्लाइट MH370 को मलेशियन कैपिटल क्वालालंपूर से टेक ऑफ करके चीन के कैपिटल बीजिंग जाना था . इस फ़्लाइट मैं 2 पायलट 10 केबिन क्रू और 227 प्रवासी मौजूद थे . जिसमें से ज्यादातर प्रवासी चीन से थे . दोनों पायलट काफी अनुभवी थे जिनमे से एक पायलट 53 साल के जहरी अहमद शाह को 33 साल का जहाज फ्लाइंग का अनुभव था . जब के 27 साल के सह पायलट फ़ारुख़ अब्दुल हमीद जो जूनियर पायलट थे जिनको 7 साल का फ्लाइट का अनुभव था . अगर इस फ्लाइट की बात की जाए तो ये 11 साल पुराना जहाज था जिसमे न ही कोई किस्म की कोई प्रॉब्लम थी और न ही पास्ट में कोई किसम का मैकेनिकल प्रॉब्लम हुआ था . बताने का मकसत सिर्फ यही है की ये फ्लाइट मलेशिया और चीन के बीच में रेगुलर फ्लाइट थी जो की रोजाना 5 घंटे 34 मिनट का सफर करती थी . 

     लेकिन आज का दिन इस फ्लाइट के लिए किसी भी तरह नार्मल नहीं था बल्कि ये असामान्य से भी बढ़कर कुछ था . बेशाक फ्लाइट एमएच 370 को 5 घंटे 34 मिनट का ही प्रवास करना था लेकिन टेक ऑफ से पहले इसमें ज्यादा ईंधन डाला गया जिससे उड़ान 7 घंटे 41 मिनट ज्यादा सफ़र कर सकती थी इसका मतलब फ्लाइट सवा दो घंटा ज्यादा उड़न भर सकती है . ऐसा करना भी एयरलाइंस की रूटीन रहती है जिसके कारण अगर मौसम खराब हो और कहीं तकनीकि खराब हो तो फ्लाइट को इमरजेंसी लैंडिंग करने के लिए फ्यूल एक्स्ट्रा होना भी जरूरी होता है . 

      यह दिन था 8 मार्च 2014 का और समय हुआ था रात के 12:42 मिनट में फ्लाइट ने रूटीन के मुताबीक क्वालालंपूर से टेक ऑफ किया रूटीन के मुताबिक फर्स्ट पायलट  जहरी टेक ऑफ से पहले और टेक ऑफ होने के बाद पूरी तरह कंट्रोल टावर के  कॉन्टैक्ट में थे और टेक ऑफ करते ही पायलट ने अपने डायरेक्शन साउथ चाइना सी के तरफ कर दी और ठीक 20 मिनट के बाद यानी की रात के 1:09 मिंटो पर जहाज में लगे अपने ट्रांसपोंडर ने अपनी जीपीएस लोकेशन क्वालालंपूर में लगे एयर ट्रैफिक कंट्रोल के रडार को भेज दी ये एक ट्रांसपोंडर का ऑटोमैटिक फंक्शन होता है  रडार को अपनी लोकेशन भेज देता है . अभी तक तो सब रूटीन के मुताबिक से चल रहा था उसके ठीक 10 मिनट के बाद यानी की 1:19 मिनट पर फ्लाइट एमएच 370 मलेशिया के निर्देशन से वियतनाम के रडार में जाने लगी तो  क्वालालंपूर के कंट्रोल टावर ने पहला पायलट जहरी से आखिरी बार बात की और यह कहा की .....

क्वालालंपूर हवाई यातायात नियंत्रण ने कहा कि

( MAS370 , Contact ho Chi Minh , 120.9 . Good night )
पायलट ने जवाब देते हुए कहा कि
Good Night MAS370

     इसका मतलब यह था कि अब फ्लाइट एमएच 370 को वियतनाम के हो ची मिन एयर कंट्रोल टावर से संपर्क करना चाहिए फर्स्ट पायलट जहरी ने ये मैसेज सुना भी और उसका रिप्लाई भी दे दिया. ना ही कंट्रोल टावर को पता था और ना ही कैप्टन जहरी को कि उनका यह गुड नाइट वाला मैसेज एमएच 370 से रिसीव होने वाला आखिरी मैसेज होगा. यह वक्त जब फ्लाइट को टेक ऑफ किए हुए पुरे 37 मिनट हो चुके थे . अब नॉर्मल होता यह है कि जब तक फ्लाइट अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच जाता तब तक वह अपने रास्ते में आने वाले सारे बड़े एयरपोर्ट के कंट्रोल टावर से संपर्क में रहता है और यहां भी ऐसा ही कुछ होना था लेकिन जो सब नॉर्मल चल रहा था वह असामान्य लगने लगा . जी हां अपने आखिरी मैसेज के बाद यानी के ठीक 3 मिनट के बाद 1:21 मिनट में फ्लाइट एमएच 370 अचानक रडार से गायब हो गई यानी के क्वालालंपूर और हो चि मिन्ह में यह दोनो के रडार से फ्लाइट एमएच 370 गायब हो चूका था अब यह बात क्वालालंपूर टावर के लिए एक नॉर्मल बात थी क्योंकि उन्हें समझा की फ्लाइट अब वियतनाम के एयरवेज में दखिल हो चुकी है यही वजहसे  मलेशियन राडार से गायब हो चुकी होगी लेकिन को ची मिन्ह में कंट्रोल टावर ने फ्लाइट एमएच 370 को रडार से गायब होते हुए देखा तो उनको लगा कुछ तो गड़बड़ है . उन्होंने फिर कैप्टन से बातचीत करने की कोशिश की तो सामने से कोई जवाब नहीं आया तो नो ची मिन्ह टावर ने क्वालालंपूर के टावर से संपर्क किया और उनको सारी घाटना के बारे में बताया ऐसी घाटना में सामान्य रूप से एक घंटे के अंदर रेस्क्यू टीम को इंफॉर्म करना होता है लेकिन क्वालालंपूर कंट्रोल टावर ने पुरे 4 घंटों के बाद वैमानिकी बचाव समन्वय केंद्र से संपर्क किया और तब तक बहुत देर हो चुकी थी . 

      सुबह के 6:15 हो चुके और यही वह टाइम था जब एमएच 370 को चीन के बीजिंग में लैंड करना एक उम्मिद थी कि जहाज अपने टाइम पर लैंड कर जाए लेकिन वहां से भी कोई अच्छी खबर नहीं . सुबह के 6:32 प्रति ठीक उसी जगह जहां फ्लाइट गायब हो गई वहां सर्च ऑपरेशन किया गया जिस में 7 देशो की 34 जहाजों और 28 विमानों ने फ्लाइट एमएच 370 को थाईलैंड की खाड़ी और दक्षिण चीन सागर में खोज करना शुरू किया पर बदकिस्मती से प्लेन का कोई भी नामोनिशान नहीं मिला . कुछ वक्त के बाद पूरी दुनिया को इस हादसे का पता चल चुका था टीवी न्यूज पेपर सोशल मीडिया न्यूज चैनल सब जगह पर यही न्यूज दिखा रहे थे . इस दौरान कहीं देश की जांच टीम भी सर्च ऑफ ऑपरेशन में जुड गई थी . फ्लाइट का ऐसे सारे रडार से गायब हो जाना किसी आचार्य से कम नहीं था. या अगर प्लेन क्रैश भी होता तो इतना बड़ा जहाज है कि कोई ना कोई तो चीज पानी में तेहरते हुई दिखाती थी . अगले चार दिनों तक यह सर्च ऑपरेशन चलता रहा पर कहिन से भी अच्छी खबर ना मिल सकी फिर चौथे दिन एक खबर मैं जिसने सारे तमाम रेस्क्यू ऑपरेशन को हिला कर रख दिया. 8 मार्च को 1:21 प्रति उड़ान एमएच 370 जब रडार से गायब हो गई थी तो वह सिविलियन रडार से गायब हुई थी लेकिन मलेशियन मिलिट्री के राडार में वह अगले 1 घंटे तक दिखाई दे रही थी और उसके बाद जो कुछ हुआ वह आगे यह था .

       सिविलियन रडार से गायब होने के बाद वो फ्लाइट ने दाईं ओर में मोड़ गयी और फिर यू टर्न करके वापस मलेशिया की तरफ जाना शुरू किया. पुरे 31 मिनट होने के बाद जहाज ने मलेशिया के पिनांक शहर को क्रॉस किया और फिर मालाका स्ट्रेट की तरफ टर्न कर गया  आखिरी बार जहां तक ​​मिलिट्री की रेंज थी फ्लाइट को हिंद महासागर के प्वाइंट तक डिटेक्ट किया गया . और इस वक्त 2.22 मिनट हो रहे थे और इसके बाद फ्लाइट एमएच370 नहीं मिलिट्री रडार पे शो हुआ और नहीं किसी सिविलियन रडार पे , पुरी रेस्क्यू टीम और इस प्लेन से जूड़ा हर शक्श यही गुप्ती सुलजाने लगे थे . आखिर वो प्लेन गया तो गया कहा . इसे भी बढ़कर जो चिज़ तंग कर रही थी कि बीजिंग जाने वाली फ्लाइट ने तेज यूटर्न क्यो लिया . जो रेस्क्यू टीम पहले फ्लाइट को थाईलैंड की खाड़ी में और साउथ चाइना सी में ढूंढ रही थी अब वो हिंद महासागर में धुन्डना शुरू किया लेकिन यह पर भी कुछ नहीं मिला अगले कुछ दिनों बाद खबर आ गई की उसने फिरसे एक बार परिस्तिथि बदल कर रख दी . पता ये चला की प्लेन से मिलिट्री रडार से 2.22 मिनट में गायब हुआ एक सैटेलाइट ऐसी थी जिससे वो लगतार संपर्क कर रहा था . 

      कि आपको यह बता दे की बोइंग 777 नॉर्मल बात होती है कि जब प्लेन का अपना नेटवर्क काम नहीं कर रहा हो तो वो सैटेलाइट से संपर्क करते हैं . प्लेन में हर घंटे एक सिस्टम होता है जो 35000 किमी दुर इनमारसैट सैटेलाइट को संपर्क करने की कोशिश की . सैटेलाइट से सेव डेटा की मदद से एक जटिल गणना करते हैं कि जिससे आखिरीकर फ्लाइट एमएच 370 के अगले मूव का भी पता चल गया . पता ये चला की प्लेन मिलिट्री रडार से गायब होने के बाद मलेशियन प्लेन ने और एक टर्न लिया और अगले 5 घंटे वही डायरेक्शन मैं उड़ता रहा सुबह को 8.19 मिनिटपर पर प्लेन ने आखिरीबार सैटेलाइट से कनेक्शन बनाने की कोशिश की ये फ्लाइट एमएच370 की तरफ से मिलने वाला सबसे आखिरी सिग्नल था . इसके बाद प्लेन नहीं किसी सैटेलाइट से कॉन्टैक्ट किया और नहीं किसी रडार में शो हुआ . अर्थात जिस वक्त बचाव टीम जहाज को ढूंढ रही थी उस समय जहाज फ्लाई कर रहा था लेकिन उसकी लोकेशन वह से बहुत दूर थी विशेषज्ञ और जांच दल का मनाना है कि ऑस्ट्रेलिया से 2000 किमी पश्चिम में हिंद महासागर के कर्व के स्पॉट पे आकार जहाज का सैटेलाइट सिग्नल टूट गया . क्वालालंपूर से टेक ऑफ करने के बाद कर्व के स्पॉट तक पूछने में जहाज को पुरे 8 घंटे लगे और जहाज में इन्धन भी उतना ही था.

     

       इस के काफी ज्यादा चांस है कि एमएच 370 इस कर्व  के आस पास ही कहीं इंधन खत्म होने से क्रैश हो गया . हिंद महासागर का ये वक्र हिसा पुरे भारत से भी बहुत बड़ा है . यहां पर स्टार्ट किया गया एक डीप सी खोज ऑपरेशन एमएच370 को धुन्डना बोहोत ही जरूरी था क्यों के प्लेन और उसका ब्लैक बॉक्स नहीं मिलेगा तब तक पता नहीं चलेगा कि क्रैश के पहले प्लेन के अंदर क्या कुछ हो रहा था .कहीं महिनो नहीं कहीं सालो तक यहां प्लेन को खोजने का काम चलता रहा . लेकिन यहां पर भी प्लेन का कोई सुराग नहीं मिला 3 सालो के बाद ऑपरेशन डीप सी क्लोज कर दिया गया . जिस्मे 160 मिलियन डॉलर से भी ज्यादा खर्चा हो चूका था . सर्च ऑपरेशन के दोरण विमान का तो कोई आता पता नहीं मिला लेकिन 2015 में यानि के हादसा होने के ठीक 1 साल बाद विमान का राइट फ्लैपरॉन आइलैंड के रीयूनियन के जमीन पर जा पोहचा .ये प्लेन का वो हिस्सा होता है जो लैंडिंग के समय काम आता है मिलने वाले फ्लैपरॉन पर जब तहकीकात की गई तो एक और खोफनाक से परदा उठा एक्सपर्ट्स का मनाना है कि जिस वक्त एमएच370 पानी में क्रैश हुआ उस वक्त ये फ्लैपरोन एक्सटेंडेड नहीं था . इसका मतलब ये है के क्रैश लैंडिंग वक्त जहाज अपने नाक के बल महासागर में जा गिरा अगले कही सालों के दौरन प्लेन के कहीं सारे पार्ट्स मिल रहे थे लेकिन विमान का या फिर पैसेंजर का कोई भी सुराग नहीं मिल सका . मलेशियाई फ्लाइट एमएच370 के अंदर गायब होने से पहले क्या कुछ हुआ ये किसको मालुम नहीं है लेकिन कुछ अन्वेषक का शक है कि विमान अपहरण हुआ था. कुछ लोग ये समझते हैं कि कुछ इलेक्ट्रिकल की विफलता की वजह से बहार की दुनिया से संपर्क नहीं हो पाया इसके वजह से ये हादसा हुआ. खैर असल वजह क्या है ये प्लेन के अंदर के मीफ्यूज ब्लैक बॉक्स में हुई रिकॉर्डिंग से ही पता चल सकता है जो प्लेन के साथ ही हिंद महासागर में गायब है . 

     एमएच370 के गायब होने के पुर 8 सालो के बाद फरवरी 2022 मैं फिर प्लेन की मिलने की उम्मिद दिलायी गई एक अंग्रेज रिटायर एयरोस्पेस इंजीनियर रिचर्ड गॉडफ्रे ने दावा किया है कि कमजोर सिग्नल प्रसार विश्लेषण के जरिये उसके असल प्लेन की लोकेशन का अंदाज़ लगा है . और हेयरतंगेज़ तोर पे रीचर्ड्स ने जो पिन पॉइंट लोकेशन बताते हैं वो इंडियन ओशन के वही कर्व  के आस पास ही है रिचर्ड्स का मनाना है कि उसके बताए ठीक उसी जगह पर महासागर का 4000 मीटर अंदर मलेशिया एयरलाइंस का गुमशुदा जहाज अभी भी मौजुद है . ये उतनी ही गहरी है जितनी आंदर टाइटैनिक जहाज पुरे कोशिशो के बाद 74 साल के बाद 1985 में मिली थी . अब मलेशियन अथॉरिटी सेवानिवृत्त एयरोस्पेस इंजीनियर के दावे को कितना गंभीर लेते हैं और इस जगह पर एक नया सर्च ऑपरेशन लॉन्च किया जाता है या नहीं ये वक्त ही बताएगा।
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